Wednesday, August 25, 2010

बाबूलाल की कछुवा चाल


झारखंड की सियासत बिडंबनाओं की गंगोत्री साबित हो रही है। बीजेपी और जेएमएम के लोग अब भी सरकार गठन के शिगूफे छोड़ने से बाज नहीं आते। अजीब से हालत में फंसे राज्य का राजनीतिक वर्ग अजीब हरकतें करने का आदी हो चुका है। ऐसे में लोग सामान्य राजनीतिक व्यवहार से ज्यादा कुछ नहीं ढूंढ रहे हैं। यहां किसी को आदर्श नेतृत्व की तलाश नहीं है। यहां सबको तलाश है तो बस एक अदद नेता की जो अहमक नहीं है। कोई तो जिसमें थोड़ा सब्र हो, जो कल की सोचे।

Tuesday, August 3, 2010

सुनो सोनिया

बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बाबूलाल ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से सुविधाएं वापस लेने को  आदिवासी विरोधी कदम बताते हुए कहा है कि वो कांग्रेस की गुलामी नहीं करेंगे। दिल्ली की परिक्रमा करने से बेहतर है कि वो गांव में जाकर काम करें। कांग्रेस पर्दे के पीछे से झारखंड का शासन चला रही है। पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाएं वापस लेनी ही थीं तो एक लोकप्रिय सरकार लेती, ना कि राज्यपाल।

Monday, August 2, 2010

अब भी जागो

आईबीएन-7 और कोबरापोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में झारखंड के आधा दर्जन विधायकों को राज्यसभा में वोट देने के बदले नोट के बारे मोलतोल करते हुए साफ-साफ दिखाया गया। जिन आधा दर्जन विधायकों को दिखाया गया उनमें जेएमएम के मांडू विधायक टेकलाल महतो, जेएमएम के ही लिट्टीपाड़ा विधायक साइमन मरांडी, कांग्रेस के महगामा विधायक राजेश रंजन,खिजरी विधायक साबना लकड़ा और बड़कागांव विधायक योगेन्द्र साव और बरही के बीजेपी विधायक उमाशंकर यादव उर्फ अकेला यादव शामिल हैं।