Monday, July 26, 2010

बोल बम से जागो झारखंड

तस्वीर सौजन्य-पराशर प्रभात

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सावन में देश भर के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन देवघर के बाबा वैद्यनाथ धाम पर रोज करीब एक लाख लोग आते हैं। एक महीने तक चलने वाला ये मेला,देखा जाए तो,एक छोटे-से कुंभ की तरह है। भक्तों में मालदार असामी तो कम होते हैं ,फिर भी, इस एक महीने की अपनी अर्थव्यवस्था है जो सुल्तानगंज से देवघर के बीच की बड़ी आबादी को प्रभावित करती है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसके महत्व की चर्चा करने की तो शायद ज़रुरत भी नहीं है।

Friday, July 16, 2010

इतना सन्नाटा क्यों है भाई !चैप्टर - 2


झारखंड बीजेपी क्या कर रही है? अर्जुन मुंडा कहां हैं? क्या राष्ट्रपति शासन लगते ही सब ठंडे हो गए? क्या इसके बाद फिर चुनाव नहीं होंगे? जेएमएम के साथ सरकार बनाने में तो बड़ी उतावली थी। अठारह सीटों से भी नीचे गिरने का इरादा है क्या? पिछले छे महीनों में बीजेपी ने जो चाल चरित्र चेहरा दिखाया है, उसमें करेक्शन की कोई गुंजाइश भी नहीं ढुंढी जा रही है। पिछले चुनाव में ये अनुमान लगाया जा रहा था कि बीजेपी अगर मजबूत नहीं भी हुई तो अपने पुराने पोजीशन को बरकरार रखेगी। लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा। ज्यादा जोगी मठ उजाड़ वाली कहावत चरितार्थ हुई

Monday, July 12, 2010

इतना सन्नाटा क्यों है भाई !

झारखंड में एक बार फिर से राजभवन का शासन है। दूसरे शब्दों में कहें तो लोकतंत्र निलंबित है। ऐसा नहीं लगता कि चुने हुए प्रतिनिधि सरकार बनाने का रास्ता ढूंढ पाएंगे। साफ है कि अगला पड़ाव है चुनाव। लेकिन उससे पहले कई सवाल हैं - चुनाव कब होंगे ? और चुनाव होने तक सबकुछ किस तरह चलेगा ? पिछली सरकार जबर्दस्ती बनाई गई थी, अकाल काल का ग्रास बन गई। चुनाव के बाद भी अगली सरकार की क्या संभावनाएं हैं ? पिछले साल की जनवरी से ही राज्य तत्काल व्यवस्थाओं के हवाले है। ऐसा कबतक चलेगा ? सवालों की कमी नहीं है, मगर जवाब कहीं नहीं है। झारखंड में गतिविधियों की कमी नहीं है - मगर असली सवालों के डेरे में सन्नाटा पसरा हुआ है।

Tuesday, July 6, 2010

सेलेब्रेटी नहीं नायक है माही

मैं क्रिकेट फैन नहीं हूं, मगर धोनी का फैन हूं, क्योंकि इसने कहीं ना कहीं मेरे निजी आत्मविश्वास को एक मजबूत आधार दिया है। इसने भय-भूख-भ्रष्टाचार के बीच छटपटा रहे झारखंड को एक अच्छी, बहुत अच्छी पहचान दिलाई है। इसने बड़े ही सीधे तरीके से ये साबित कर दिया कि बेहद साधारण पृष्ठभूमि और बिना किसी भगवान-बाप(गॉडफादर) के उपलब्धियों के आसमान पर सितारा बनकर चमका जा सकता है, बशर्ते कि आपके

Saturday, July 3, 2010

चोर चोर मौसेरे भाई

 
रजरप्पा में छिन्नमस्ता का मंदिर
रजरप्पा के छिन्नमस्तिका मंदिर में चोरी हो गई। चांदी का छत्र और मां के आभूषण ही नहीं, चोरों ने मूर्ति में लगी सोने की आंखें भी निकाल लीं। इतना ही नहीं मूर्ति को भी काफी नुकसान पहुंचाया गया है। सबकुछ रहते हुए भौतिक उन्नति को तरसते राज्य में देवी-देवता भी सुरक्षित नहीं हैं। कमाल की बात है कि इसका ध्यान तब आया है जब एक बड़ा नुकसान हुआ।